सप्ताह में कितने दिन मोटा अनाज Saptah mein kitne din mota anaj khana chhahiye
मोटा अनाज सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन इसका भी अत्यधिक सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में मोटे अनाज को कब और कितने दिन खाना चाहिए
मिलेट्स यानी मोटा अनाज ही भारत का प्राचीन अन्न है। देश में 16 प्रकार के मोटे अनाज का उत्पादन होता है। गेहूं और चावल के अधिक उत्पादन और खपत के कारण मोटे अनाज का प्रचलन काफी कम हो गया था, लेकिन अब फिर इसके उत्पादन पर
मोटे अनाज के फायदे
जोर दिया जा रहा है। भारत ने वर्ष 2018 को मिलेट्स ऑफ द ईयर के रूप में मनाया और संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने मौजूदा साल 2023 को ‘इंटरनेशनल ईयर ऑफ द मिलेट्स’ घोषित किया है। मोटे अनाज के अंतर्गत रागी, बाजरा, ज्वार, जी, मक्का, कुट्टू, कंगनी, सामा, कुटकी, कोदी आदि आते हैं।
मोटा अनाज क्या है?
रागी :
इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस, अर्थराइटिस जैसी बीमारियों को भी ठीक करने में मददगार है। फाइबर से भरपूर होने की वजह से यह शरीर में ग्लूकोस के अवशोषण को कम करता है, जिससे रक्त शर्करा नियंत्रित रहती है। रागी में पाए जाने वाले पॉलीफिनॉल्स और फ्लेवोनॉइड जैसे एंटी- ऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल से बचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा कम होता है यह त्वचा के लिए भी बहुत अच्छा है। इसको कुपोषण से बचाव के लिए एक महत्वपूर्ण अनाज माना गया है।
बाजरा
इसके सेवन से लीवर संबंधी कोई भी बीमारी नहीं होती, जैसे कि फैटी लीवर, लीवर की सृजन आदि। बाजरा, लीवर की प्रॉपर फंक्शनिंग के साथ उसके सारे टॉक्सिंस को शरीर से निकालने में मदद करता है। इसमें ब्रेन कूलिंग एजेंट पाया जाता है, जो दिमाग को आराम देता है इससे माइग्रेन, अवसाद, चिंता जैसी बीमारियां नहीं होतीं। दुग्ध पान कराने वाली महिलाओं के लिए बाजरा गुणकारी है।
ज्वार
इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह सर्दियों में होने वाले सर्दी-जुकाम से बचाव करता है। ब्लड प्रेशर और अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए ज्वार बहुत गुणकारी है। नाश्ते में ज्वार का दलिया या उससे बनी चीज के सेवन से बीपी कंट्रोल रहता है। और नींद भी भरपूर आती है। सिर दर्द, माइग्रेन जैसी समस्याओं में भी ज्वार बहुत लाभदायक है। फंगल इन्फेक्शन, ड्राइनेस, सोरायसिस, वायरल, बैक्टीरियल इन्फेक्शन में भी ज्वार लाभदायक है।
जौ इसमें फैट सॉल्युबल विटामिन्स- ए. डी.ई. के.और वॉटर सॉल्युबल विटामिन- थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी6, फोलेट अच्छी मात्रा में होते हैं। यह कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक का भी अच्छा स्रोत है। इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता, जिससे बीपी की समस्या नहीं होती और हृदय सुचारू रूप से कार्य करता है जो का सेवन शरीर के चयापचय यानी मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है, जिससे कब्ज की समस्या नहीं होती है।
मोटे अनाज का महत्व
मक्का
यह आंखों के लिए अच्छा माना गया है। फाइबर से भरपूर होने की वजह से यह पाचन तंत्र को मजबूत रखता है। कुपोषण से ग्रस्त या पतले- दुबले लोग मक्के का सेवन जरूर करें। इसमें फोलेट होता है, जो नई रक्त कोशिकाओं यानी ब्लड सेल्स
को बढ़ाने में मदद करता है कैल्शियम, आयरन, फाइबर, प्रोटीन से भरपूर होने की वजह से यह हार्ट स्ट्रोक के खतरे को कम करता है। किडनी के लिए भी मक्का अच्छा होता है। एन्यूरिया (पेशाब न आना या कम आना) पीड़ित लोग भी इसका सेवन करें। पहले मोटे अनाज का सेवन केवल दलिया, रोटी या लड्डू बनाकर ही किया जाता था, लेकिन अब इसके ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं, जैसे कि मिलेट्स कुकीज, मिलेट्स नूडल्स, लड्डू, मिलेट चिक्की|
टिक्की, मिलेट्स पास्ता, उपमा आदि। मोटे अनाज के कुछ नुकसान भी हैं, जैसे- इनके अधिक सेवन से पेट दर्द, ऐंठन, कब्ज, दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। धायरॉइड की समस्या से पीड़ित लोग भी मोटे अनाज का सेवन निश्चित मात्रा में ही करें उचित मात्रा में सेवन करने का सबसे सरल तरीका है कि हम सप्ताह में 4 दिन गेहूं और चावल से बनी चीजों का उपयोग करें और 3 दिन मोटे अनाज को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।